HRI परमाणु ऊर्जा विभाग, भारत सरकार द्वारा एक सहायता प्राप्त संस्थान

एच. आर. आई.-- एक दृष्टि में

हरीश चन्द्र अनुसंधान संस्थान एक शोध संस्थान है जिसका नामकरण गणितज्ञ हरीश-चन्द्र के नाम पर किया गया है। यह संस्थान उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद में अवस्थित है। यह परमाणु ऊर्जा विभाग, भारत सरकार द्वारा वित्त प्रदत्त एक स्वायत्तशासी संस्थान है।

हरीश-चन्द्र अनुसंधान संस्थान में गणित तथा सैद्धांतिक भौतिकी में अनुसंधान किये जाते हैं। विगत दशकों में, इस संस्थान ने गणित और भौतिकी में अनुसन्धान एवं प्रशिक्षण दोनों में विशेष योगदान दिया है| संस्थान के अकादमिक सदस्यों में लगभग 35 संकाय सदस्य, 30 पोस्ट डॉक्टोरल छात्र तथा 80 स्नातक छात्र हैं।

इस संस्थान के संकाय सदस्यों में 1 डिराक पदक एवं पद्म भूषण सम्मान से विभूषित तथा 5 भटनागर पुरस्कार से सम्मानित सदस्य हैं। यहाँ के लगभग 25 भूतपूर्व छात्र एवं छात्राएं देश के प्रमुख वैज्ञानिक संस्थानों में संकाय पदों को सुशोभित कर रहे हैं।

संस्थान में पी.एच.डी. उपाधि आधारित स्नातक कार्यक्रम चलाये जाते हैं। पी.एच.डी. उपाधि होमी भाभा राष्ट्रीय संस्थान (HBNI) द्वारा प्रदान की जाती है। भौतिकी के स्नातक कार्यक्रम में नामांकन विभिन्न संस्थानों के सौजन्य से आयोजित संयुक्त प्रवेश स्क्रीनिंग परीक्षा (JEST) तथा साक्षात्कार के माध्यम से तथा गणित के स्नातक कार्यक्रम में नामांकन NBHM अनुसन्धान अध्येतावृत्ति परीक्षा तथा साक्षात्कार के माधयम से होता है। इसके अतिरिक्त संस्थान में पोस्ट डॉक्टोरल अध्येतावृत्ति के लिए तथा विभिन्न स्तरों पर अतिथि वैज्ञानिकों को आमंत्रित किया जाता है।

पृष्ठभूमि

संस्थान की शुरूआत सन् 1975 में बी. एस. मेहता ट्रस्ट, कोलकाता के अभिदान से हुई । अक्टूबर, 2001 तक संस्थान का नाम मेहता अनुसंधान संस्थान था।

प्रारंभिक अवस्था में इसका प्रबंधन इलाहाबाद विश्वविद्यालय के डा. बी. प्रसाद द्वारा किया गया तथा इसके बाद डा. एस. आर. सिन्हा द्वारा किया गया। संस्थान का औपचारिक नेतृत्व प्रो. पी. एल. भटनागर से प्रारंभ हुआ, जिन्होंने डा. सिन्हा से संस्थान के प्रथम निदेशक का पद-भार ग्रहण किया। प्रो. भटनागर के पश्चात संस्थान का दायित्व एक बार फिर डा. सिन्हा के कंधों पर आ गया। जनवरी 1983 में बम्बई विश्वविद्यालय के प्रोफेसर एस. एस. श्रीखंडे ने संस्थान के निदेशक का कार्यभार संभाला।

प्रो. श्रीखंडे के कार्यकाल में संस्थान के भविष्य के संबंध में परमाणु ऊर्जा आयोग के साथ चल रही वार्ता निर्णायक मोड़ पर पहुँची। परमाणु ऊर्जा विभाग ने इस मुद्दे पर अध्ययन के लिए एक पुनरीक्षण समिति का गठन किया। समिति के रिपोर्ट के अनुपालन में सन 1985 में उत्तर प्रदेश सरकार ने संस्थान के लिए भूमि उपलब्ध कराने हेतु अपनी सहमति प्रदान की तथा परमाणु ऊर्जा विभाग ने आवर्ती तथा अनावर्ती दोनों प्रकार के व्यय हेतु वित्तीय सहायता प्रदान करने का वादा किया।

जनवरी 1992 में झूँसी, इलाहाबाद में संस्थान हेतु 66 एकड़ भूमि अधिग्रहण की गई। संस्थान के संक्षिप्त इतिहास में प्रोफेसर एच.एस.मणि द्वारा संस्थान के निदेशक के रूप में पद ग्रहण करना भी महत्वपूर्ण रहा। प्रोफेसर मणि के आगमन के पश्चात 1996 में झूँसी स्थित नये परिसर में संस्थान की गतिविधियों में तेजी आयी और तब से तीव्र गति से विकास जारी है।

नौ वर्षो के प्रतिष्ठित कार्यकाल के बाद प्रोफ़ेसर मणि अगस्त 2001 में सेवामुक्त हुए और प्रोफ़ेसर आर. एस. कुलकर्णी ने निदेशक का प्रभार संभाला। प्रोफ़ेसर कुलकर्णी के कार्यकाल के बाद, प्रोफ़ेसर अमिताव राय चौधरी 19 जुलाई 2005 से 15 मई 2011 तक निदेशक रहे। प्रोफ़ेसर अमिताव राय चौधरी प्रोफ़ेसर के कार्यकाल के बाद, प्रोफेसर जयंत कुमार भट्टाचार्य 29 अप्रैल 2012 से 9 अप्रैल 2017 तक निदेशक रहे । प्रोफ़ेसर पिनाकी मजूमदार 10 अप्रैल, 2017 से 31 जनवरी, 2024 तक निदेशक थे । प्रोफ़ेसर दिलीप जतकर 1 फरवरी, 2024 से वर्तमान कार्यवाहक निदेशक हैं । संस्थान गणित और सैद्धांतिक भौतिकी के विविध क्षेत्रो में मौलिक अनुसन्धान के प्रति समर्पण के साथ आज भी लगा हुआ है। अनुसन्धान कार्य संकाय सदस्यों, शैक्षणिक अतिथि सदस्यों, पोस्ट डाक्टरल तथा पी एच डी छात्रों द्वारा कार्यान्वित किया जाता है।

भावी गतिविधियाँ

हरीश-चन्‍द्र अनुसंधान संस्थान अपनी गतिविधियों में वृद्धि कर रहा है। प्रत्येक वर्ष संकाय सदस्यों की संख्या में वृद्धि होती है। हम निकट भविष्य में संकाय सदस्यों की संख्या 50 तक पहुचने की आशा करते हैं। स्नातक और पोस्टडॉक्टोरल छात्रों की संख्या भी इसी अनुपात में बढ़ेगी ।

आशा है कि संस्थान तथा विश्वविद्यालय प्रणाली के बीच अच्छे पारस्परिक संबंध बनेगें। पहले से ही संस्थान में कई ऐसे कार्यक्रम हैं जिनके तहत विभिन्न विश्वविद्यालयों के पूर्वस्नातक तथा स्नातक छात्रों को कुछ सप्ताह से कुछ वर्षों तक के लिए संस्थान में आने का अवसर प्राप्त होता है। अगले कुछ वर्षों में इन कार्यक्रमों में वृद्धि करने के संबंध में विचार किया जा रहा है।